ये जो ज़मीन हमे मिली है (This Precious Land We Inherit)

Illustration: Yogendra Anand
Illustration: Yogendra Anand

ये जो ज़मीन हमे मिली है
ये जो साँसे हमने ली है
एक सुरक्षित भविष्य पाया
ये जो अरमानो की चादर सिली है

इतनी आसानी से कँहा मिला ये
हमारा थोड़ी ये अनंत के लिए
देने वाला कँहा देता रहेगा
कँहा मिला ये फ़िज़ूल के लिए

केवल रहने की जगह ही नहीं है ये धरती
केवल ठहरने का स्थान ही नहीं है ये धरती
ये वो माँ है जिसने जन्म के बाद से हमें पाला है
गिरते सँभलते हमारे अंत से हमे बचाया है
पल-पल अपने पर आसरा दिया है
ये वो माँ है जिसने घडी-घडी हमे साँसे लेने का मौका दिया है

चिलचिलाती धूप में शीतल छाँव का साया मिला है कभी?
कड़कड़ाती ठण्ड में कोमल सी धूप ने गले से लगाया है कभी ?
दुःख में लिपटे बारिश के पानी में धुले हो कभी ?
लम्बे से दिन के बाद ठंडी सी हवा में बहे हो कभी?

धरा की ही देन है ये
बिन इसके कहाँ बसेरा?
रोटी मकान साँस सब इससे
बिन इसके कँहा सवेरा?

जिसने इतना कुछ दिया है, उसी को क्यों भुलाते है
अपने पापों के बोझ में इसे क्यों दबाते है
ये वो है जिसने हमे ज़िंदा रह अरमान बुनने दिए
ये वो है जिसने हमे ज़िंदा रह अरमान बुनने दिए
उन्ही अरमानो के पीछे अपने ही निर्माता को क्यों भुलाते है?
उन्ही अरमानो के पीछे अपने ही निर्माता को क्यों भुलाते है?

About the Contributors

Student of Class X, Delhi Public School, Pune

Illustrator, Art & Design, Centre for Science and Environment, New Delhi.

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